गहलोत का संकट गहराया? मुख्यमंत्री खेमे के 11 विधायक नाराज़, 7 मंत्री-5 विधायक नहीं पहुंचे जैसलमेर Hindi
जयपुर: राजस्थान की रिजॉर्ट पॉलिटिक्स खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों को जैसलमेर शिफ्ट कर दिया है जहां उन्हें एक रिसॉर्ट में ठहराया गया है लेकिन जैसलमेर के रिसॉर्ट में शिफ्ट हुए विधायकों को लेकर तब सस्पेंस बन गया जब वहां कुल 11 विधायक-मंत्री नहीं पहुंचे। बताया जा रहा है कि गहलोत खेमे के 11 विधायक नाराज़ हैं। वहीं पायलट कैंप ने भी दावा किया है कि कुछ विधायक उनके संपर्क में है।
इन 11 विधायक के बारे में कहा जा रहा है कि वो गहलोत का साथ छोड़ सकते हैं। चर्चाओं का बाजार गर्म है। कहा ये भी जा रहा है कि गहलोत कैंप के ये 11 विधायक पायलट कैंप का रूख कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो बाजी उल्टी पड़ सकती है और जिस आत्मविश्वास से गहलोत विधानसभा का सत्र बुलवा रहे हैं, वो आत्मविश्वास हवा हो जाएगा।
कांग्रेस विधायकों को तीन चार्टर प्लेन से जैसलमेर भेजा गया। कांग्रेस ने 52 विधायकों के साथ दो नेताओं को जैसलमेर भेजा है लेकिन वहां नहीं पहुचने वालों में मंत्री प्रतापसिंह, रघु शर्मा, अशोक चांदना, लालचंद कटारिया, उदयलाल आंजना और विधायक जगदीश जांगिड़, अमित चाचाण, परसराम मोरदिया, बाबूलाल बैरवा, बलवान पूनियां शामिल हैं।
विधायकों की घेराबंदी पर गहलोत कोई रिस्क नहीं लेना चाहते, इसीलिए शिफ्ट किए गए विधायकों की अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया गया था। जैसलमेर के जिस सूर्यगढ़ होटल में विधायकों को ठहराया गया है, वहां सौ से ज्यादा पुलिसवाले तैनात हैं। शिफ्टिंग के वक्त दो आईपीएस अफसर और एसटीएफ की टीम भी शामिल थी। सुरक्षा घेरे में रखे गए एक एक विधायक पर कड़ी नजर रखी गई।
इस बीच अशोक गहलोत ने सचिन पायलट कैंप पर प्रेशर बढ़ा दिया है। विधायकों की खरीद फरोख्त से जुड़े केस में राजस्थान एसीबी की टीम ने मानेसर के ITC होटल में सर्च किया। एसीबी की टीम सचिन पायलट के करीबी विधायक विश्वेद्र सिंह और भंवरलाल से पूछताछ के लिए आई थी लेकिन उन्हें दोनों नेता होटल में नहीं मिले।
राजस्थान की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ी जा रही है। कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेस राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई, जिसमें हाईकोर्ट ने स्पीकर सीपी जोशी की 18 बागी विधायकों की अयोग्यता की कार्रवाई को रोकने का फैसला दिया था।
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