सोमवार, 30 नवंबर को मांद्य चंद्र ग्रहण हो रहा है। भारतीय समय के अनुसार ये ग्रहण दोपहर में करीब 1:04 बजे से शुरू हो जाएगा। दोपहर 3.13 बजे ग्रहण का मध्य काल रहेगा और शाम को 5:22 बजे मांद्य चंद्र ग्रहण खत्म हो जाएगा। इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण और पेनुमब्रल भी कहते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार मांद्य चंद्र ग्रहण का किसी भी प्रकार का धार्मिक असर नहीं रहता है। इसका सूतक भी नहीं होता है। सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा भी है। मांद्य चंद्र ग्रहण का धार्मिक असर न होने से इस दिन पूर्णिमा से जुड़े सभी शुभ कर्म किए जा सकते हैं। पूर्णिमा पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें, दान-पुण्य करें। किसी गौशाला में धन का दान करें। भगवान सत्यनारायण की कथा करें। सूर्यास्त के बाद घर में तुलसी के पास दीपक जलाएं।
किसे कहते हैं उपच्छाया ग्रहण?
ये मांद्य यानी उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। मांद्य का अर्थ है न्यूनतम यानी मंद होने की क्रिया। इसलिए इस चंद्र ग्रहण को लेकर सूतक नहीं रहेगा। इसका किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं होगा। इस ग्रहण में चंद्र के आगे पृथ्वी की धूल जैसी छाया रहती है। ये ग्रहण विशेष उपकरणों से देखा जा सकता है।
कहां-कहां दिखेगा मांद्य चंद्र ग्रहण
उत्तरी, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया और एशिया महाद्वीप में मांद्य चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। ये 2020 का अंतिम चंद्र ग्रहण है।
अगला चंद्र ग्रहण 2021 में 26 मई को
भोपाल की विज्ञान प्रसारक सारिका घारू के अनुसार 30 नवंबर के बाद अगला चंद्र ग्रहण 2021 में 26 मई को होगा। ये ग्रहण एशिया महाद्वीप में देखा जा सकेगा। अगला मांद्य चंद्र ग्रहण 2023 में 5 मई को होगा। ये भी भारत में दिखाई देगा।
कैसे होता है मांद्य चंद्र ग्रहण
जब चंद्र, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी लाइन में आ जाते हैं, तब पृथ्वी की छाया चंद्र पर पड़ती है। सूर्य की रोशनी सीधे चंद्र तक नहीं पहुंच पाती है। इसी स्थिति को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते है। एक पूर्ण चंद्र ग्रहण, दूसरा आंशिक चंद्र ग्रहण और तीसरा मांद्य चंद्र ग्रहण। पूर्ण चंद्र ग्रहण में सूर्य, पृथ्वी और चंद्र एकदम सीधी लाइन में रहते हैं और पृथ्वी की छाया से चंद्र पूरी तरह ढंक जाता है। आंशिक ग्रहण में चंद्र का कुछ हिस्सा पृथ्वी की छाया से ढंकता है।
मांद्य चंद्र ग्रहण में चंद्र, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी लाइन में नहीं रहते हैं। इस दौरान ये तीनों ग्रह एक ऐसी लाइन में रहते हैं, जहां से पृथ्वी की सिर्फ हल्की सी छाया चंद्र पर पड़ती है। चंद्र घटता-बढ़ता नहीं दिखता है, इसे मांद्य चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
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