गुस्सा एक ऐसी बुराई है, जिसकी वजह से रिश्तों में दरार आ सकती है, मित्रता टूट सकती है और बने-बनाए काम अंतिम पड़ाव पर भी बिगड़ सकते हैं। इससे बचने के लिए सहनशीलता होना बहुत जरूरी है। इस संबंध में संत तुकाराम से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। जानिए ये कथा...
संत तुकाराम अपने उपदेशों की वजह से काफी प्रसिद्ध थे। वे अपने घर में रोज प्रवचन देते थे। काफी लोग प्रवचन सुनने आते थे। सभी तुकाराम का बहुत सम्मान करते थे, लेकिन उनका एक पड़ोसी उनसे ईर्ष्या करता था। वह पड़ोसी भी प्रवचन सुनने रोज आता और तुकाराम को नीचा दिखाने का मौका खोजने में लगे रहता था।
एक दिन तुकाराम की भैंस उसी पड़ोसी के खेत में चली गई। जब ये बात पड़ोसी को मालूम हुई तो वह गुस्से में संत तुकाराम के घर पहुंचा और गालियां देने लगे। लेकिन, तुकाराम चुप रहे।
जब संत ने गालियों का जवाब नहीं दिया तो पड़ोसी और ज्यादा गुस्सा हो गया। उसने वहीं पड़ा एक डंडा उठाया और संत तुकाराम को मार दिया। इसके बाद भी संत चुप रहे, सहन करते रहे।
चिल्ला-चिल्लाकर जब पड़ोसी थक गया, तब वह अपने घर चला गया। अगले दिन संत तुकाराम प्रवचन दे रहे थे। तब उन्होंने देखा कि उनका पड़ोसी प्रवचन सुनने नहीं आया है। वे तुरंत ही उसके घर पहुंचे। संत ने पड़ोसी से कहा कि मेरी भैंस की वजह से तुम्हारा जो नुकसान हुआ है, उसके लिए मुझे क्षमा करें। आप रोज प्रवचन सुनने आते हैं, कृपया आज भी प्रवचन में जरूर चलें।
तुकाराम की सहनशीलता और विनम्र स्वभाव देखकर उस पड़ोसी ने संत के पैर पकड़ लिए और क्षमा मांगने लगा। संत ने पड़ोसी को उठाया और गले लगा लिया। पड़ोसी को समझ आ गया कि संत तुकाराम बहुत ही महान संत हैं।
जीवन प्रबंधन
गुस्सा सबकुछ बर्बाद कर सकता है। अगर दो लोग एक साथ, एक ही समय पर गुस्सा हो जाए तो बड़ी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। अगर कोई व्यक्ति क्रोधित है तो हम सहनशीलता से हालात का सामना करना चाहिए।
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