31 दिसंबर, गुरुवार से पौष महीना शुरू हो रहा है। ये हिंदू कैलेंडर का दसवां महीना है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक इस बार पौष महीने की शुरुआत और अंत गुरुपुष्य योग में हो रहा है। ऐसा संयोग पिछले 100 सालों में नहीं बना। इस संयोग के प्रभाव से पौष महीने में किए गए दान और पूजा-पाठ का पुण्य दुगना हो जाएगा। इस महीने खरीदारी और नए कामों की शुरुआत से फायदा भी होगा।
पं मिश्र ने बताया कि विक्रम संवत में पौष का महीना दसवां महीना होता है। दरअसल जिस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। पौष महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है इसलिए इसे पौष कहते हैं।
5 गुरुवार का संयोग
गुरुवार से शुरू होकर गुरुवार को ही खत्म होने वाले पौष महीने में इस बार 5 गुरुवार का संयोग भी बन रहा है। पं. मिश्र के मुताबिक, इस संयोग के प्रभाव से धर्म, शिक्षा और राजनीति से जुड़े लोगों के लिए समय अच्छा रहेगा। इन क्षेत्रों से जुड़े बड़े फैसले होने के योग बन रहे हैं। इससे आर्थिक स्थितियों में सुधार होने के योग हैं। शेयर मार्केट में भी उतार-चढ़ाव रहेंगे। सोना-चांदी और अनाज की कीमतें में उतार-चढ़ाव रहेगा। हालांकि देश विरोधी गतिविधियां बढ़ सकती हैं। लेकिन सरकार उन पर काबू पाने में सफल भी रहेगी।
भगवान विष्णु और सूर्य पूजा का महीना
पौष महीने में भगवान विष्णु और सूर्य देवता की विशेष पूजा करनी चाहिए। ब्रह्मवैवर्त पुराण का कहना है कि इनकी पूजा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इसमें भगवान विष्णु की पूजा एवं उनके 24 अवतार की कथाएं सुनना सबसे ज्यादा फलदायी माना जाता है। ग्रंथों के मुताबिक पौष महीने में भगवान सूर्य की पूजा करने से उम्र बढ़ती है और सेहत भी अच्छी रहती है।
आधे महीने तक नहीं होंगे शुभ काम
खरमास के कारण 14 जनवरी तक मांगलिक और शुभ काम नहीं होंगे। सिर्फ भगवान की पूजा अर्चना ही होगी। पौष महीने में खरमास होने से इन दिनों जप, दान, पूजा-पाठ, भागवत और राम कथा सहित धार्मिक काम किए जाते हैं। धर्मग्रंथों में बताया गया है कि पौष महीने में किया गया दान कई गुना पुण्य देने वाला होता है। इस महीने किए गए दान से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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