भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा से मांगी थी भिक्षा, आज किए अन्नदान से मिलेगा कई गुना पुण्य health

मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा यानी आज अन्नपूर्णा जयंती मनाई जा रही है। काशी के पं. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस तिथि पर माता पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप लिया था। धर्मग्रंथों में बताया गया है कि इस दिन रसोईघर में चूल्हे, गैस स्टोव की पूजा भी करनी चाहिए। साथ ही घर के अन्नकोष में भी देवी अन्नपूर्णा की पूजा करनी चाहिए। माना जाता है ऐसा करने से घर में कभी अनाज और खाने की कमी नहीं होती। साथ ही घर में बने भोजन को खाने से बीमारियां भी दूर रहती हैं।
देवी अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर परिवार में कभी भी अन्न और धन-धान्य की कमी नहीं रहती। वैसे तो अन्न का अनादर कभी नहीं करना चाहिए, लेकिन इस दिन खासतौर से सावधानी रखनी चाहिए। घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती और देवी की कृपा हमेशा बनी रहती है।

इस दिन अन्नदान का महत्व
मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा पर देवी अन्नपूर्णा की विशेष पूजा करने की परंपरा है। इस दिन पूजा के बाद कई तरह के भोग बनाकर देवी अन्नपूर्णा को नैवेद्य लगाया जाता है। इसके बाद अन्नदान करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को पेटभर भोजन करवाना चाहिए। वैसे तो मार्गशीर्ष महीने के हर दिन ही अन्नदान करने की परंपरा है। लेकिन किसी कारण से मार्गशीर्ष में पूरे महीने अन्नदान न कर पाएं हो तो इस पूर्णिमा पर ही अन्नदान करने भर से ही पूरे महीने का फल मिलता है।

भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा से मांगी थी भिक्षा
मान्यता है कि जब धरती पर पानी और अन्न खत्म होने लगा तब हर तरफ हाहाकार होने लगा। तब इंसानों ने अन्न की समस्या से छुटकारा पाने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी की पूजा की। तब शिवजी ने धरती का भ्रमण किया और इसके बाद माता पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप और भगवान शिव ने भिक्षु का रूप बनाया।
भगवान शिव ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा लेकर धरती पर बसे लोगों को बांटा। तभी से सभी देवों के साथ इंसानों ने भी मां अन्नपूर्णा की पूजा आराधना आरंभ कर दी। जिस दिन मां अन्नपूर्णा प्रकट हुई, वेा मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा थी। इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस दिन अन्न दान का खास महत्व है।

पूजन विधि
माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी हैं। इसलिए इस दिन रसोई घर साफ रखना चाहिए और गंगा जल छिड़ककर घर को शुद्ध करना चाहिए।
इसके बाद भोजन पकाने वाले चूल्हे का हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प, धूप और दीपक जलाकर पूजन करें।
इसके बाद रसोई में ही माता पार्वती एवं भगवान शंकरजी की पूजा भी करें।
मां अन्नपूर्णा की पूजा भी रसोई घर में ही उपरोक्त विधि से करते हुए प्रार्थना करें कि हे माता हमारे घर-परिवार में सदैव अन्न जल भरा रहे।
पूजन करने के बाद अपने घर में बना हुआ भोजन गरीबों को जरूर खिलाएं।



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Lord Shiva had asked for begging from mother Annapurna, Annadan done today will get manifold merits


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